संदेश

2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सोढ़ा राजपूत सम्पूर्ण इतिहास

सोढ़ा एक राजपूत वंश है जो सिन्ध के थारपरकर जिले में तथा गुजरात के कच्छ जिलों की मूल निवासी रही है। वर्तमान समय में पाकिस्तान में २५ हजार से ३० हजार परिवार हैं। प्रतिवर्ष वहाँ से सात-आठ सौ परिवार भारत आते है वे एकमात्र पाकिस्तान में राजपूत जाति हैं। भारत सरकार भी उनके आव्रजन के लिए विशेष व्यवस्था करती है और उन्हें एक माह से लेकर छः माह तक भारत में रहने की अनुमति प्रदान की जाती है। रतेकोट और अमरकोट रियासते सोढा राजपूतो (परमार) ने यहाँ शासन किया ये अब पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हैं। अमरकोट से पूर्व सोढा (परमार) राजपूत रतेकोट दुर्ग में रहते थे । इनका सीधा संबंध परमार साम्राज्य से है । सोढा राजपूत चक्रवर्ती महाराजा वीर विक्रमादित्य उज्जैन के वंशज हैं। जिन्होंने शको पर विजय के बाद विक्रम संवत की स्थापना की चक्रवर्ती महाराजा वीर विक्रमादित्य की 25 वीं पीढ़ी बाद छत्रपति महाराज वीर मालवा राजा भोज हुए परमार वंश के छत्रपति महाराजा जगदेव परमार महाराजा उजंयादीप के पुत्र थे उनका राज्य उज्जैन और धारा नगर पर था । शक्ति वांकल माता महाराजा जगदेव परमार की पुत्री थी। महाराज जगदेव परमार की आठवी

Kalusingh Bhati Tanu

चित्र
जैसलमेर का भाटी वंश: महारावल साहब की पीढ़ी --------------------------------- 1 म. ब्रजराज सिंह जी 2 म. रघुनाथ सिंह जी 3 म. गिरधर सिंह जी 4 म. जवाहर सिंह जी 5 सरदार सिंह जी 6 उम्मेद सिंह जी 7 देवी सिंह जी 8 महा सिंह जी 9 जेत सिंह जी 10 म. मूलराज जी द्वितीय 11 म. अखे सिंह जी 12 जगत सिंह जी 13 म. जसवंत सिंह जी 14 म. अमर सिंह जी 15 म. सबल सिंह जी 16 दयाल दास जी 17 खेत सिंह जी हालांकि महारावल की कोई खांप नहीं होती है। खांप/शाखा का अर्थ है- टहनी, मुख्य वृक्ष से शाखाएं निकलती है, वैसे ही महारावल के भाइयों के परिवार अपने पिता के नाम पर पहचाने ज़ाते रहने की परंपरा चलती रहती थी। इसी प्रकार इन खेत सिंह जी की संतान खेतसिंहोत भाटी कहलाते हैं। खेत सिंह जी महारावल मालदेव जी के राजकुँवर थे।

माल्हण शक्ति शिक्षण संस्थान आपका हार्दिक अभिनन्दन करता है

चित्र
🙏🏻सभी  विद्यर्थियों के एवं अभिभावकों के लिए   विशेष सूचना 🙏🏻 माल्हण  शक्ति विद्यापीठ हरसाणी  जो कई प्रतिभाशाली छात्रों की एक शिक्षण संस्थान मानी जाती है । जो केवल शिक्षा के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि हर प्रतियोगिताओं में  अव्वल रहती है ।  खेलकूद के क्षेत्र में  इस स्कूल की कई प्रतिभाएं  राष्ट्रीय स्तर , राज्य स्तर पर अपना प्रचम लहराकर आयी है । खेलकूद के क्षेत्र में इस विद्यालय की उपलब्धि जिला स्तर में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है । हाल ही में इस शिक्षण संस्थान के संस्थापक श्रीमान फतेह सिंह जी भाटी  ने इस  विद्यालय  में  छोटी कक्षाओं के लिए  अंग्रेजी माध्यम की भी व्यवस्था उपलब्ध करवाई है , जो हमारे लिए गर्व की बात है । अब अभिभावकों को कई दूर जाने की आवश्यकता नहीं है , अब यहां ही अपने प्रतिभाशाली छात्र छात्राओं का नामांकन  करवाए ।   इस विद्यालय की विशेषताएं  👉कठोर अनुशासन  शानदार  पढ़ाई  👉शांत वातावण कोलहाल से मुक्त   👉 अतिरिक्त कक्षा की व्यवस्था  👉 सी.सी. टीवी कैमरों की निगरानी में अध्ययन  👉 खेलकूद का   विशाल मैदान  👉 दूर से आने वाले बच्चो के लिए वाहन सुविधा उ

तुकबंदी Bhatipa

चित्र
Yaduvanshi kalu singh bhati Rajput जय श्री कृष्णा  #_भाटीपा_के_शेर कानून का न खौंप था । शेर थे भाटीपा के बंदुक रखना शौक था ।। शेर थे भाटीपा के हंसमुख चेहरा ,हाथ में लाठी । देखो सा  स्वाभिमानी  भाटी ।। जिनका पूर्वज कृष्णा कन्हैया । सरदार कुण्डा और स्वरूप बईया ।। देखो हमारी फौज को शेरो वाले मौज को रेगिस्तानी भुमि पर शेरो का निवास । कर देते थे शेर शत्रु का विनाश ।। जो राजपूती रूखवालता  देख ठिकाणा तेजमालता शेरों के कंठ की  वाणी गूंज रहा  है हरसाणी रेगिस्तान में घूमे घौडा भाटी हे करन दुधोडा जहां पर खुंखार शेरों की छांव वो अड्डा बडोडा गांव जिसका अंदाज अलग लग रहा दिख रहा मरूधर में मगरा गोरडिया, फोगेरा भी हमारा जहा पे दिखता अलग नजारा रणधा मोढा ना न्यारा यह भी गांव है प्यारा सबको अच्छी तरह से जाणु मै k.s भाटी ताणु ताणु ठाकुर सुजान भाटी बोल रही है पावन माटी शोभजी ताणु कम नही हथियार ऊठावे बम नही भाटीपा की सेना चाली वो किशन , जवाहर झिझिनियाली  किशन भाटी जानसिह की बेरी जानने से मैने कर दी देरी यह भाटीपा परिवार है । जहां जोश आरम्पार है ।। Kalusingh Bhat

माल्हण शक्ति की आराधना

चित्र
🙏🏻आरती माल्हण शक्ति की🙏🏻 नोट :  लघु पंक्ति को दोहराना है ओम जय माल्हण बाई, देवी जय माल्हण बाई जानरे राय जोगनी , संतन सुखदाई । ओम......... आदि शक्ति अविनाशी , जग में जोराली । अम्बे रूप अवतारी,माल्हण मुगटाली ।। ओम........ धोले मढ़ धणियाणी, देवी ड़ाढाली   । सम्मुख रहो सदाय छीन पल छत्राली ।। ओम.... अकन कुंवारी अम्बे , तुम सबकी बाई । इज्जत राखो ईसरी, जानरे मढ़ जाई ।। ओम...... चंदन सुगंध चन्हुदिश मंदरीये महके । भळके  केंकू केसर , धूप अगर धधके ।। ओम........ ऊंची मेढ़ी उज्वल, जोत अखंड जळे । सेवक आवे शरणे, भय दुःख दूर टळे ।। ओम........... ढोल नगारा ढ़मकत , झालर झणकारे । चौसठ जोगण रमत , मालू बाईसा द्वारे ।। ओम....... असुर संहारण आयल , छूने में संतरी । धांसू राक्षस मारियो, जन की पीड हरी ।। ओम्.......... दृष्ट विदारणी देवी, तुम संकट हरणी । आपत विपत उबारो , तुम सब सुख करणी ।। ओम्........ शक्ति भक्ति समपो, चरणांशी शीश धरूं। दीप समर्पण देवी, नित उठ नमन करूं ।। ओम्..........

जय मालन शक्ति

चित्र
इस बार कौन जीतेगा? वह जो आपको मूर्ख समझता है या आप जो उसे मूर्ख समझते हैं। चुनाव परिणाम के पूर्वानुमानों ने इस लतीफे की हत्या कर दी है। किसी लतीफे की हत्या केवल कोई दूजा लतीफा ही कर सकता है। जैसे लोहा लोहे को काटता है। ज़हर से ज़हर उतरता है। जंगल की आग को बुझाने के लिए थोड़ी दूर नई आग लगाई जाती है। इस बार के चुनाव में एक नयी बात सामने आई है। पूरे भारत में हर जगह दो जातियों के बीच प्रतिस्पर्धा उपस्थित है। ये कोई कुछ बरसों में बनी बात नहीं है। ये वर्तमान के सामाजिक ढांचे का बुनियादी भाग है, जो रूढ़िवाद से बाहर न आ पाने के कारण यथावत है। मैं इसे रूढ़िवाद समझता हूँ हो सकता है आप इसे विशिष्टता समझते हों। आप मानते हों कि जाट, राजपूत, मेघवाल या किसी भी जाति का होना गर्व की बात है तो आपको मैं बधाई देना चाहता हूँ कि अब आप एक क़दम और आगे बढ़ गए हैं।  अब जाट और राजपूत की लड़ाई खत्म हो गयी है। अब गोत्रों की लड़ाइयाँ आरंभ हो चुकी है। मैंने पिछले आठ-नौ बरस से टीवी पर समाचार नहीं देखे। मैंने अख़बारों को सुबह उठते ही नहीं पढ़ा। मैं दफ़्तर जाता हूँ। दफ़्तर से बाज़ार जाना होता है। अनेकानेक लोगों से नियम