भाटियों के प्रतीक एव संक्षिप्त जानकारी
भाटी वंश के प्रतीक एवं मान्यताएँ-
1 वंश - चंद्र वंश
2 कुल - यदु/यादव
3 कुल देवता - श्री लक्ष्मीनाथ जी
4 कुल देवी - श्री स्वांगिया जी
5 इष्ट देव - श्री कृष्ण जी
6 गोत्र - अत्रि
7 वेद - यजुर्वेद
8 ध्वज - केसरिया
9 छत्र - मेघाडम्बर
10 ढोल - भंवर
11 नक्कारा - अग्नजोत
12 पुरोहित - पुष्करणा
13 गुरु - रतननाथ
14 प्रोलपात - रतनु चारण
15 महाराजा की पदवी - महारावल
16 महारावल का विड्द - छत्राला यादव पति
17 विड्द - उत्तर भड़ किंवाड़ भाटी
18 अभिवादन - जय श्री कृष्ण
19 नदी - यमुना, गोमती
20 वृक्ष - पीपल, कदम्ब
21 पक्षी - खंजन, पालम
22 माला - वैजयन्ती
23 राग - मांड
24 सूत्र - पारस्कर गृह सूत्र
25 ऋषि - दुर्वासा
26 दर्शन - नाथ मुद्रा
27 पूरी - द्वारिका
28 पाट गद्दी - मथुरा
29 ढाढी - डग्गो
30 राव - मालदेव
31 गंगा घाट -सौरम
32 निकास - गंगापार
33 बन्दूक - भूतान
34 शिक्षा - दक्षिणा
35 मोहता - चांडक माहेश्वरी
36 दीवान टावरी मोहता
37 कण्ठी - वैष्णवी
38 शाखा - वासनेयी
39 ठाकुरजी - सालिगराम
40 प्रवर - अत्रि, आत्रेय, शतातप
41 धोती - पीताम्बरी
42 तलवार- रतलामी
43अखाड़ा - तुलसी, वराह
44दुर्ग - भटनेर, भटिंडा, मारोठ, मूमलवाहण, केहरोर, बींझनोट, तनोट(दुगम), दुनियापुर, देरावर, पूगल, बीकमपुर, बरसलपुर, लुद्रवा व जैसलमेर।
45राज चिन्ह- एक ढाल जिसपर खंजन पक्षी बैठा है। दोनों ओर एक एक हरिण आगे के पैर ऊपर उठाए हुए है। ढाल का रंग नारंगी।बीच में किले की एक बुर्ज। एक बलिष्ठ पुरुष की नंगी भुजा मुड़ा हुआ भाला उठाए हुए। नीचे छत्राला यादव पति उत्कीर्ण है। राजचिन्ह के नीचे लिखा जाता ह
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