विश्वास
तुम बिन कितने आज अकेले
तुम बिन कितने आज अकेले
क्या हम तुमको बतलायें?
अम्बर में है चाँद अकेला
तारे उसके साथ तो हैं
तारे भी छुप जाएँ अगर तो
साथ अँधेरी रात तो हैं
पर हम तो दिन रात अकेले
क्या हम तुमको बतलायें..?
जिन राहों पर हम-तुम संग थे
वो राहें ये पूछ रही हैं
कितनी तन्हा बीत चुकी हैं
कितनी तन्हा और रही है
दिल दो हैं, ज़ज्बात अकेले
क्या हम तुमको बतलायें..?
वो लम्हें क्या याद हैं तुमको
जिनमें तुम-हम हमजोली थे
महका-महका घर आँगन था
रात दिवाली, दिन होली थे
अब हैं, सब त्यौहार अकेले
क्या हम तुमको बतलायें..?
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